रांची – टैगोर हिल स्थित लिटिल फ्लावर स्कूल में सिस्टर क्रिस्टीना मेरी एस.एम.आई. ने अपने धार्मिक जीवन के 60 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हीरक जयंती (डायमंड जुबली) समारोह हर्षोल्लास के साथ मनाया। इस शुभ अवसर पर पवित्र मिस्सा बलिदान एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
समारोह का शुभारंभ एवं धार्मिक अनुष्ठान
कार्यक्रम की शुरुआत कॉन्वेंट के प्रवेश द्वार पर नवनिर्मित संस्था के संस्थापक फादर बिशप लोइस मोरो की प्रतिमा (बस्ट) के आशीष समारोह से हुई। इस दौरान बड़ियातू पल्ली के पल्ली पुरोहित फादर हेमलेट कुजूर ने प्रार्थना की अगुवाई की। समारोह का संचालन सिस्टर मिठू मोंडल ने किया। मिस्सा के पूर्व सिस्टर बेनेदिक्ता ने सिस्टर क्रिस्टीना मेरी के जीवन परिचय पढ़ा।
मिस्सा बलिदान के मुख्य अनुष्ठाता गोरखपुर से आए फादर बेनी थे, जबकि प्रवचन फादर जस्टिन ओ.सी.डी. ने दिया। अपने प्रवचन में फादर जस्टिन ने कहा कि जीवन और बुलाहट ईश्वर की एक अनोखी देन है, जो केवल व्यक्ति विशेष के लिए नहीं, बल्कि उनके परिवार और समाज के लिए भी एक अनमोल उपहार होती है। सिस्टर क्रिस्टीना मेरी ने एक नर्स के रूप में अपनी सेवा द्वारा अनगिनत लोगों का जीवन छुआ है। उनकी प्रेममयी सेवा को भुलाया नहीं जा सकता, और वे कई लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं।
मिस्सा के दौरान मध्यस्थता की प्रार्थनाएँ सिस्टर विनोदी द्वारा प्रस्तुत की गईं। इस अवसर पर गायन दल का नेतृत्व जुनुल, स्कूल स्टाफ और पल्लीवासियों ने किया, जिसका प्रदर्शन अत्यंत सराहनीय रहा।
सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह
मिस्सा बलिदान के पश्चात सिस्टर क्रिस्टीना के सम्मान में एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। समारोह के अंत में समुदाय की सुपीरियर सिस्टर एंगली ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस भव्य समारोह में धर्मसंघ की प्रोविंशियल सुपीरियर सिस्टर स्टैंसी एस.एम.आई., जेनरल काउंसलर सिस्टर झांसी फ्रैंसी एस.एम.आई., प्रोविंशियल काउंसलर सिस्टर लीना फर्नांडीस एस.एम.आई., सिस्टर्स ऑफ मेरी इमाक्युलेट धर्मसंघ की अन्य धर्मबहनें, पुरोहितगण, स्कूल स्टाफ, छात्र-छात्राएँ एवं अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
सिस्टर क्रिस्टीना मैरी का जीवन परिचय
सिस्टर क्रिस्टीना मेरी का जन्म केरल में हुआ था। वे दस भाई-बहनों में दूसरे स्थान पर हैं। उन्होंने 1961 में सिस्टर्स ऑफ मेरी इमाक्युलेट धर्मसंघ में प्रवेश लिया। 1965 में उन्होंने अपनी प्रथम व्रत प्रतिज्ञा ली और 1972 में अंतिम व्रत प्रतिज्ञा प्राप्त की। 2015 में उन्होंने अपने स्वर्ण जयंती समारोह को धूमधाम से मनाया था, और अब उन्होंने अपने धार्मिक जीवन के 60 गौरवशाली वर्ष पूर्ण होने की हीरक जयंती उत्साहपूर्वक मनाई।
सिस्टर क्रिस्टीना एक कुशल नर्स हैं। उन्हें 1971 में सेंट मार्था नर्सिंग कॉलेज, बेंगलुरु से नर्सिंग में उत्कृष्ट छात्र का पुरस्कार मिला था। उनका जीवन मंत्र है— “ईश्वर से प्रेम करो और उनके लोगों से प्रेम करो।”
