नेमरा की माटी में गूंजा बाबा का अमर उलगुलान, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने जताया जनता का आभार
नेमरा की पवित्र धरती आज एक बार फिर भावनाओं के सागर में डूब गई। लाखों की संख्या में लोग अपने प्रिय नायक, झारखंड के युगपुरुष, स्मृति शेष दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी को नमन करने और उनकी स्मृति में आयोजित संस्कार भोज में शामिल होने के लिए उमड़ पड़े। यह दृश्य केवल एक श्रद्धांजलि सभा नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक जनसैलाब था, जो दिशोम गुरु के प्रति जनता के अटूट प्रेम और सम्मान का प्रतीक बन गया। हर आगंतुक ने बाबा की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की, उनकी जीवन गाथा को याद किया और उनके द्वारा झारखंड के लिए किए गए अनुपम योगदान को हृदय से स्मरण किया।
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### **मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन का भावुक संदेश: “आपके प्यार ने हमें संबल दिया”**
मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने इस अवसर पर उपस्थित हर व्यक्ति के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। अपने संबोधन में उनकी आवाज में गहरा दर्द और अपनापन साफ झलक रहा था। उन्होंने कहा, “जब बाबा दिल्ली के एक अस्पताल में जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे थे, उस कठिन समय में आप सभी ने मेरे परिवार को जो प्यार, समर्थन और दुआएं दीं, वह मेरे लिए अविस्मरणीय है। लाखों लोगों ने बाबा की सलामती के लिए प्रार्थनाएं कीं, मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और गिरजाघरों में उनके लिए दुआ मांगी गई। लेकिन, शायद ईश्वर का कुछ और ही विधान था।”
उन्होंने आगे कहा, “आज बाबा भले ही हमारे बीच शारीरिक रूप से नहीं हैं, लेकिन उनकी आत्मा आज भी इस माटी में बसी है। अंत्येष्टि से लेकर आज के संस्कार भोज तक, आप सभी का नेमरा में उमड़ना, हर पल हमारे साथ खड़े रहना, हमें और हमारे परिवार को इस असहनीय दुख को सहने की शक्ति देता है। यह जनसैलाब इस बात का जीवंत प्रमाण है कि बाबा का झारखंड की जनता से कितना गहरा रिश्ता था। वे भले ही चले गए, लेकिन उनके विचार, उनके सपने और उनका उलगुलान हमेशा हमारे बीच जीवित रहेगा।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि दिशोम गुरु केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे। “उनके दिखाए रास्ते पर चलकर ही हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं। झारखंड के निर्माण में उनकी मेहनत, उनके त्याग और उनके संघर्ष को हम कभी नहीं भूल सकते।”
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### **विशिष्ट मेहमानों और आमजनों का जमावड़ा, बाबा को दी गई भावपूर्ण विदाई**
संस्कार भोज में झारखंड के राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार, केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, तेलंगाना के मुख्यमंत्री श्री रेवंत रेड्डी सहित कई केंद्रीय और राज्य मंत्रिगण, सांसद, विधायक, पूर्व जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी और प्रबुद्धजन शामिल हुए। इसके साथ ही, झारखंड के कोने-कोने से आए लाखों आम लोगों ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। हर कोई बाबा की तस्वीर के सामने नतमस्तक था, पुष्प अर्पित कर रहा था और उनकी स्मृतियों को अपने हृदय में संजो रहा था।
विशिष्ट मेहमानों ने मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन और उनके परिवार से मिलकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। कई नेताओं ने बाबा के साथ बिताए पलों को साझा करते हुए कहा, “शिबू सोरेन जी केवल झारखंड के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा थे। उनका जीवन, उनका संघर्ष और उनकी सादगी हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी।” केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा, “शिबू जी का जाना झारखंड के लिए ही नहीं, पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वे एक ऐसे योद्धा थे, जिन्होंने अपने जीवन को समाज के सबसे वंचित वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया।”
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### **दिशोम गुरु: संघर्ष, त्याग और आदिवासी चेतना का प्रतीक**
संस्कार भोज में शामिल हर व्यक्ति की जुबान पर बस एक ही नाम था—दिशोम गुरु शिबू सोरेन। लोग उनके जीवन की गाथा, उनके संघर्ष और उनके त्याग की चर्चा करते नहीं थक रहे थे। बाबा का जीवन किसी महाकाव्य से कम नहीं था। शोषण और अन्याय के खिलाफ उनकी आवाज ‘उलगुलान’ का प्रतीक बनी। उन्होंने आदिवासी समाज की चेतना को न केवल जागृत किया, बल्कि उसे एक नई दिशा दी।
झारखंड आंदोलन के अग्रदूत के रूप में उनकी भूमिका को कोई भूल नहीं सकता। यह उनके ही अथक प्रयासों का परिणाम था कि झारखंड एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। लोग कहते हैं, “बाबा का जीवन एक तपस्या थी। उन्होंने कभी सत्ता या वैभव की लालसा नहीं की। उनका हर कदम, हर निर्णय झारखंड की माटी और यहाँ के लोगों के लिए था।”
आदिवासी समाज के लिए उनका योगदान अतुलनीय है। शोषण के खिलाफ उनकी लड़ाई, सामाजिक न्याय के लिए उनका जुनून और गरीबों-वंचितों के लिए उनकी आवाज ने उन्हें जन-जन का प्रिय बना दिया। एक बुजुर्ग ने भावुक होते हुए कहा, “बाबा हमारे लिए सिर्फ नेता नहीं, हमारे परिवार का हिस्सा थे। उनकी सादगी, उनकी हिम्मत और उनका प्यार हमें हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।”
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### **मुकम्मल व्यवस्था: हर व्यक्ति को मिली सुविधा और सम्मान**
संस्कार भोज के आयोजन में प्रशासनिक व्यवस्था की जितनी तारीफ की जाए, कम है। लाखों की भीड़ के बावजूद, हर चीज योजनाबद्ध और व्यवस्थित थी। सुरक्षा से लेकर भीड़ नियंत्रण तक, हर पहलू पर बारीकी से ध्यान दिया गया था। पार्किंग स्थल, यातायात व्यवस्था, ऑटो सेवा और सूचना प्रसार के लिए माइक के माध्यम से लगातार अनाउंसमेंट की व्यवस्था थी।
आगंतुकों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए प्रशासन ने दिन-रात मेहनत की। अति विशिष्ट मेहमानों के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था थी, वहीं आम लोगों के लिए भी हर सुविधा का ध्यान रखा गया। मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन स्वयं इन व्यवस्थाओं की निगरानी करते रहे।
लोगों ने इस आयोजन को न केवल एक श्रद्धांजलि सभा के रूप में देखा, बल्कि यह एक ऐसा अवसर था, जहाँ हर व्यक्ति ने दिशोम गुरु की यादों को अपने हृदय में संजोया। लोग अपने साथ बाबा की स्मृतियां, उनके आदर्श और उनके सपनों को लेकर लौटे।
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### **बाबा का उलगुलान: एक अमर प्रेरणा**
दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी विरासत, उनके विचार और उनका उलगुलान हमेशा जीवित रहेगा। वे एक ऐसे सितारे थे, जो झारखंड की धरती को रोशन करते रहेंगे। उनकी सादगी, उनका त्याग और उनकी निष्ठा हर झारखंडवासी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
आज का यह जनसैलाब इस बात का प्रमाण है कि बाबा का झारखंड से रिश्ता केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि आत्मिक था। वे न केवल एक नेता थे, बल्कि झारखंड की आत्मा थे। उनके दिखाए मार्ग पर चलना, उनके सपनों को साकार करना ही उनकी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।
दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी को शत-शत नमन!
**उनका उलगुलान हमेशा अमर रहेगा!