मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करमा पूजा पर वीमेंस कॉलेज में बालक-बालिका आदिवासी छात्रावास द्वारा आयोजित करमा पर्व में शामिल हुए. उन्होंने सभी को करमा की बधाई और शुभकामना देते हुए कहा कि आदिवासी समाज का यह परंपरागत त्योहार है, जो हमारे पूर्वज भी करते आए हैं, हम भी कर रहे हैं और हमारी आने वाली पीढ़ी भी करती रहेगी. बस इसका ध्यान रखना होगा कि हम आगे कैसे इसे सामूहिक रूप से सभी के साथ मिलकर मनाएं. कहा कि कल्याण विभाग के जितने भी हॉस्टल हैं, उनका जीर्णोद्धार होगा. सरकार सभी छात्रावास में रहनेवाले विद्यार्थियों को सुरक्षा देने के साथ ही खाने के लिए अनाज भी देगी. आदिवासी समाज प्रकृति की पूजा पर आस्था रखने वाला समाज है. नदी, नाला, पहाड़, पर्वत इन्हीं का उपासक आदिवासी समाज है. लेकिन वर्तमान भौतिकवादी युग में इन सभी पहाड़-पर्वत, नदी नाले के ऊपर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो रहा है. विशेष कर आदिवासी समाज के लिए. हमलोग आज विकास को और गति देने के प्रयास में हैं, जहां कहीं न कहीं बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ हो रहा है. यह न केवल आदिवासी के लिए बल्कि पूरे मानव समाज के लिए चिंता का विषय है. आज पूरी दुनिया में पर्यावरण में बदलाव देखने को मिल रहा है. कहीं पहाड़ धंस रहे हैं, रेगिस्तान में बाढ़ आ रहा है, कहीं सूखा पड़ रहा है. इसलिए हम पूजा के साथ-साथ इस मानव जीवन को भी कैसे संरक्षित करें, यह हमलोगों पर ही निर्भर करता है. हम इस परिसर में करम उत्सव के लिए एकत्रित हुए हैं. मगर रांची शहर की हरियाली धीरे-धीरे खत्म हो रही है. इसे हम हल्के में ले रहे हैं, जिसके कारण कई ऐसी समस्याओं से हम जूझने लगते हैं, जो हमारे पूर्वजों के बीच में क रही. यह मानव विचार और सोच में भी बदलाव होता है. इसलिए हमें प्रकृति के साथ रिश्ता बनाते हुए विकास का पैमाना तय करना होगा. मैं कई विषयों को देखता हूं. इसके आधार पर मैं निर्णय भी लेता हूं. हमने एक निर्णय लिया है. कल्याण विभाग के जितने भी हॉस्टल हैं, उनका जीर्णोद्धार होगा. यहां भी एक हॉस्टल तैयार हुआ. आज भी हमारे छात्र जर्जर व्यवस्था में रहने को मजबूर हैं. यहां लड़कियों एवं लड़कों के लिए दो भव्य मल्टी स्टोरेज हॉस्टल बनेंगे. जो बच्चे हॉस्टल में आते हैं, वह गरीब परिवार के होते हैं. मिल बांटकर खाना पड़ता है. इसलिए सरकार सभी छात्रावास में रहनेवाले विद्यार्थियों को सुरक्षा देने के साथ ही खाने के लिए अनाज भी देगी. आपको घर से चावल दाल लाने की जरूरत नहीं है. आपके खाने-पीने और रहने के साथ ही साथ पढ़ाई तक का खर्च सरकार उठायेगी. आप कभी सोचते आदिवासी, पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक के बच्चे विदेश में पढ़ेंगे. यह काम हमारी सरकार कर रही है. हमारे बीच कई बहुत गरीब आदिम जनजाति के हैं. उन परिवारों को गुम होने नहीं देंगे. कई ऐसे वर्ग हैं. जिनकी संख्या दो – तीन हजार हैं. 2000 आदिम जनजाति विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षा के लिए निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था की गयी है. हर तरह का काम हमलोग कर रहे हैं. मगर इस पर चलने की जिम्मेवारी आपकी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज आदिवासी समाज कई तरह के संकट से जूझ रहा है. ऐसे में हमें एकजुट होना होगा. एकजुटता बनाए रखते हुए आगे बढ़ना होगा.