बिहार में जातीय गणना का डेटा प्रकाशित करने पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार सरकार की ओर से कराई गई जातिगत गणना से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. जातीय गणना का डेटा प्रकाशित करने पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया. जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हम किसी राज्य सरकार को नीति बनाने या काम करने से नहीं रोक सकते. सिर्फ उसकी समीक्षा कर सकते हैं. इस पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है. अब इस मामले में अगली सुनवाई जनवरी 2024 में होगी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के 1 अगस्त, 2023 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नीतीश-तेजस्वी सरकार को नोटिस जारी किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
अदालत ने कहा कि इस मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है. अब जनवरी 2024 में इस मामले की सुनवाई की जाएगी. बिहार सरकार को नोटिस भेजा गया है. जिसका जवाब सरकार को अगली सुनवाई की तिथि से पहले देना है. बीते मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई हुई थी और अगली तारीख दी गयी थी. शुक्रवार को तय तारीख पर फिर सुनवाई की गयी.
2 अक्‍टूबर को जातीय गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक की गयी थी
बिहार सरकार ने 2 अक्‍टूबर को जातीय गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी थी. रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार की जनसंख्‍या 13 करोड़, सात लाख 25 हजार तीन सौ 10 है. कुल जनसंख्‍या में अगर वर्ग के हिसाब से देखा जाए तो पिछड़ा वर्ग की 27.12 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग की 36.01 फीसदी, अनुसूचित जाति की 19.65 फीसदी, अनुसूचित जनजाति-1.68 फीसदी और सामान्य वर्ग 15.52 फीसदी की आबादी है.

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