वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट में कहा गया कि यह अमृत काल की सप्तऋषि बजट है. लेकिन किसान, स्वास्थ्य, बेरोजगार, महंगाई और मंजोले व्यवसायियों के लिए कुछ नहीं है. गावों का देश कहलाने वाले ग्रामीण डेवलपमेंट की राशि में कटौती की गई है. जिससे पसीना बहाकर रोज कमाने खाने वाले मनरेगा कर्मी को निराशा ही हाथ लगा है, तो क्या यही अमृत काल का सप्त ऋषि बजट है,जो देश के अधिकतम लोगों को निराश करने वाला बजट पेश किया गया है. यह प्रतिक्रिया झारखंड पुनरूत्थान अभियान के संयोजक सन्नी सिंकु ने दी है.
सन्नी सिंकु ने कहा कि बेरोजगारों को कुछ थोड़ी बहुत उम्मीद थी बजट में नियोजन के लिए बेहतर प्रावधान की जाएगी. लेकिन बजट में बेरोजगारों के लिए सिर्फ एग्रो स्टार्ट अप की बात की गई. किसानों को उम्मीद थी उनके उपज में अधिकतम समर्थन मूल्य पर आधारित बजट आएगा. लेकिन बजट में किसानों के लिए वैसा कुछ नहीं है. माध्यम वर्गी व्यवसायी सोच रहे थे कि जीएसटी में कटौती कर उसे राहत दी जाएगी.
वैसा हुआ नहीं. मनरेगा कल तक ग्रामीण क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार देने वाली गारंटी योजना रही है. जिसका विज्ञापन प्रधानमन्त्री सभी अखबारों में प्रकाशित करा रहे थे. पेश की गई बजट में मनरेगा के लिए राशि की कटौती की गई. जिससे रोज पसीना बहाकर कमाने खाने वालों पर बजट में ग्रहण लगा दिया गया है. जबकि मनरेगा मजदूरों की पिछले वित्तीय वर्ष की बकाया मजदूरी भी भुगतान करना बाकी है. देश में कल तक अलग से बजट का प्रावधान रहने वाला रेल की बजट में भी कटौती की गई है. सिर्फ मूलभूत सरंचना के नाम पर किसानों की भूमि को अधिग्रहण कर उसपर सरंचना बनाने की बजट में बढ़ोतरी की गई है. कुल मिलाकर यह बजट निराशाजनक है.