चौथे स्तंभ ‘मीडिया’ पर भाजपा की तानाशाही चरम पर, असर इतना कि प्रेस की स्वतंत्रता में भारत 161वें नंबर पर जबकि साल 2016 में 133वें था।

jharkhand News न्यूज़
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देश के चौथे स्तंभ ‘मीडिया’ की स्वतंत्रता को लेकर बीते कई सालों से चीन की सरकार पर आरोप लगाया जाता रहा है। अब वह दिन दूर नहीं है कि जब इसी तरह का आरोप भारत पर लगाया जाए। बीते दिनों जिस तरह मीडिया संस्थान “न्यूज क्लिक” पत्रकारों द्वारा मजदूरों और किसानों के मुद्दे पर किए गए कवरेज की वजह से मोदी सरकार के आदेश पर उन्हें निशाना बनाया गया, वह घटना प्रेस आजादी को खत्म करने की केंद्र सरकार का सुनियोजित योजना बताती है। 2014 के बाद से यह कोई पहली बार नहीं हुआ है कि मोदी सरकार और भाजपा के कुप्रबंध को उजगार करने पर मीडिया को टारगेट किया गया है। कोरोना महामारी के समय जब गंगा नदी में बहते लाशों की लाइव रिपोर्टिंग एक बड़े मीडिया संस्थान ने की थी, तब केंद्र के इशारे पर केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा कार्रवाई की गई। देखा जाए तो आज की परिस्थिति को जो भी निर्भीक, ईमानदार स्वतंत्र पत्रकार उउजागर कर रहे हैं वे केंद्र की मोदी सरकार के टारगेट में हैं।

मोदी सरकार के कार्यकाल में प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक पर भी असर।

मोदी सरकार ने मीडिया समूह और पत्रकारों पर जैसा टारगेट किया है उसका प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक पर भी असर पड़ता दिख रहा है। प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत वर्ष 2023 में 180 देश की सूची में 161 में नंबर पर है। वर्ष 2022 में भारत का रैंक 150 था। सूचकांक में भारत की स्थिति में वर्ष 2016 से ही खराब हो चली है। 2016 में भारत 133वें स्थान पर था। उसके बाद से ही लगातार गिरावट आ रही है। इस गिरावट का कारण राजनीतिक रूप से पत्रकारों और मीडिया के खिलाफ बढ़ती हिंसा मानी जाती है। भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका का वर्ष 2022 में 146वें स्थान था जो 2023 में 135वें स्थान पर महत्त्वपूर्ण सुधार किया। वहीं पाकिस्तान भी भारत से आगे 150वें स्थान पर है।

पत्रकारों पर मोदी सरकार की सोच का सटीक उदाहरण अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्टर “सबरीना सिद्दीक़ी”।

पत्रकारों को लेकर मोदी सरकार की सोच क्या है, इसे बताने के लिए अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्टर सबरीना सिद्दीकी का उदाहरण सबसे सटीक होगा। जून 2023 को जब पीएम मोदी व्हाइट हाउस स्टेट विजिट पर पहुंचे थे तब संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस में सबरीना सिद्दीक़ी ने मानवाधिकार और अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दे पर पीएम मोदी से सवाल पूछा था। सवाल पूछने के बाद स्थिति यह बनी कि पत्रकार सबरीना सिद्दीक़ी को ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। इसके बाद से भारत के कुछ लोग उन्हें ऑनलाइन प्रताड़ित करने लगे थे। इनमें से कुछ नेता हैं जो मोदी सरकार के समर्थक बताए गए थे। वहीं, यह भी कहा गया कि सबरीना को इसलिए निशाने पर लिया जा रहा है कि वह मुस्लिम हैं और उन्होंने इससे जुड़ा सवाल पूछा था। यहां तक कि वॉशिंगटन स्थित व्हाइट हाउस ने भी इसकी निंदा की।

इस बार टारगेट सच दिखाने वाले न्यूज पोर्टल न्यूजक्लिक।

मोदी सरकार के टारगेट में इस बार सच दिखाने वाली न्यूज पोर्टल न्यूजक्लिक है। न्यूजक्लिक और उससे जुड़े कई पत्रकारों के खिलाफ केंद्र के इशारे पर दिल्ली पुलिस ने बीते दिनों बड़ी छापेमारी की। इसका देश के प्रमुख विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया (INDIA) और प्रमुख पत्रकार संगठनों ने कड़ी आलोचना की। इंडिया अलायंस की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि मोदी सरकार उन लोगों को निशाना बना रही है जो सत्ता के सामने सच बोलने का साहस करते हैं। भाजपा सरकार सिर्फ उन लोगों के खिलाफ ताकत का इस्तेमाल करती है, जो सत्ता से डरे बिना सच बोलते हैं, जबकि समाज में नफरत फैलाने और लोगों को आपस में बांटने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती।

झारखंड में पत्रकारों को टारगेट किए जाने का दिख असर।

पत्रकारों पर मोदी सरकार के एक्शन का विरोध का असर झारखंड में भी दिख रहा है। पत्रकारों की गिरफ्तारी के विरोध में सोमवार को राजधानी रांची में आक्रोश मार्च का आयोजन किया गया। INDIA गठबंधन के सभी घटक दल से जुड़े नेता और सदस्य विरोध जुलूस निकालकर राजभवन पहुंचे। जहां पर झारखंड के राज्यपाल के जरिए राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। इसमें झारखंड की सत्तारूढ़ झामुमो, कांग्रेस और भाकपा जैसी पार्टियां शामिल हुई। सभी पार्टी नेता का आरोप था कि केंद्र की सरकार इंडिया घटक दलों के नेताओं को ईडी ,सीबीआई एवं अन्य केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से परेशान कर रही है, ताकि इंडिया गठबंधन में टूट पैदा हो सके। अभी देश में अघोषित आपातकाल की स्थिति बन गई है। इसी क्रम में पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है।

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