झारखण्ड में 51 कैदियों की रिहाई: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के फैसले से जगी उम्मीद की नई किरण

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रांची, 23 अगस्त 2025: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है, जिसने राज्य के कई कारागारों में बंद 51 आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है। कल, 22 अगस्त 2025 को कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में झारखंड राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की 35वीं बैठक संपन्न हुई, जहां इस भावुक और उत्साहपूर्ण फैसले पर मुहर लगी। यह निर्णय न केवल इन कैदियों के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि समाज में पुनर्वास और मानवीय संवेदना की एक मिसाल भी पेश करता है।

बैठक में कुल 103 मामलों की गहन समीक्षा की गई, जिसमें 37 नए मामले और 66 पहले अस्वीकृत मामले शामिल थे। मुख्यमंत्री सोरेन ने प्रत्येक कैदी की फाइल को बारीकी से परखा, उनके अपराध की प्रकृति, उम्र, पारिवारिक पृष्ठभूमि, सामाजिक स्थिति और जेल में उनके व्यवहार को ध्यान में रखा। इस प्रक्रिया में न्यायालयों, पुलिस अधीक्षकों, जेल अधिकारियों और प्रोबेशन अधिकारियों की राय भी शामिल की गई। लंबी चर्चा के बाद, 51 कैदियों को रिहा करने का फैसला लिया गया, जो उनके जीवन में आशा की एक नई सुबह लेकर आया है।

रिहाई के पीछे संवेदनशील सोच
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि रिहा हो रहे कैदियों को केवल आजादी ही न मिले, बल्कि वे समाज की मुख्यधारा में वापस लौट सकें। उन्होंने कहा कि 14 साल या उससे अधिक समय से जेल में रह रहे, उम्रदराज और अच्छे आचरण वाले कैदियों को रिहा किया जा रहा है। साथ ही, जिन कैदियों की शारीरिक या मानसिक सेहत खराब है, उनके लिए विशेष चिकित्सा योजना बनाई जाएगी। डॉक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर उनकी रिहाई सुनिश्चित की जाएगी, ताकि वे स्वस्थ और सम्मानजनक जीवन जी सकें। सोरेन ने जोर देकर कहा कि इन लोगों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं—वृद्धावस्था पेंशन, आयुष्मान कार्ड, मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे लाभों से जोड़ा जाए, ताकि उनकी जिंदगी में स्थिरता आए।

भावनात्मक उत्सव का माहौल
इस फैसले से जेल परिसर में खुशी की लहर दौड़ गई होगी। कल्पना कीजिए, उन कैदियों के चेहरों पर मुस्कान, हाथों को आकाश की ओर उठाते हुए धन्यवाद का भाव, और एक-दूसरे को गले लगाते हुए आंसुओं के साथ स्वतंत्रता का जश्न। यह दृश्य निश्चित रूप से हर किसी के दिल को छू लेगा। मुख्यमंत्री की इस पहल ने न केवल इन कैदियों को नया जीवन दिया, बल्कि समाज में दया और पुनर्जनन की भावना को भी मजबूत किया है।

पिछले प्रयासों का फल
यह पहली बार नहीं है जब झारखंड सरकार ने ऐसे कदम उठाए हों। 2019 से अब तक 619 कैदियों को रिहा किया जा चुका है, जिनमें से 558 का भौतिक सत्यापन हो चुका है। इनमें से 470 कैदियों को विभिन्न सरकारी योजनाओं से जोड़ा गया है, और बाकी 61 के सत्यापन की प्रक्रिया जारी है। यह आंकड़ा बताता है कि सरकार लगातार कैदियों के पुनर्वास पर काम कर रही है, और यह नवीनतम निर्णय उस दिशा में एक और बड़ा कदम है।

भावी सपने और जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से अपील की कि रिहा हो रहे इन लोगों को कौशल विकास कार्यक्रमों और डेयरी, मुर्गी पालन जैसे रोजगार से जोड़ा जाए, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। साथ ही, समाज में उनकी वापसी को आसान बनाने के लिए किसी भी प्रकार का कलंक हटाने की कोशिश की जाए। यह फैसला न केवल इन 51 परिवारों के लिए खुशी का कारण है, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक सकारात्मक संदेश भी है—कि सुधार और माफी के द्वार हमेशा खुले रह सकते हैं।

हेमंत सोरेन के इस संवेदनशील और दूरदर्शी कदम ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि नेतृत्व केवल शक्ति का प्रतीक नहीं, बल्कि मानवता की सेवा का माध्यम भी हो सकता है। अब इंतजार है कि इन रिहा हुए कैदियों की जिंदगी में नई सुबह कितनी शानदार होगी।

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