सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि तमाम झंझावातों के बीच हमारी सरकार का गठन हुआ। तब हमने संकल्प लिया था कि आपसे किये हर वादे को हम पूरा करेंगे।
हमारी सरकार ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय व्यक्ति को परिभाषित करने एवं सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़ा वर्ग के लिए तय आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने के उद्देश्य से संबंधित दोनों विधेयकों को झारखण्ड विधान सभा से पारित कराया है। हमारी सरकार संविधान की मूल भावना के अनुरूप गरीबों, पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए विशेष रूप से सरकार के द्वारा हरा राशन कार्ड, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर
सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए लोगों के द्वार तक पहुंचकर कार्य करने के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर जिला प्रशासन की ओर से जिले में रहने वाले आदिम जनजाति परिवारों का डोर टू डोर सर्वे मार्च 2022 से जुलाई 2022 के मध्य करवाया गया। उन्होंने कहा कि सर्वे के बाद उन्ह कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 के बाद जिला के आदिम जनजाति परिवारों का सर्वे नहीं कराया गया था। उक्त कारण सरकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए लाभुकों को चिन्हित करने में परेशानी आ रही थी वर्तमान में डोर टू डोर सर्वे के लिए पंचायत स्तर पर टीम / टास्क फोर्स का गठन कर सर्वे की टीम द्वारा डोर टू डोर सर्वे के दौरान आदिम जनजाति जनसंख्या व सरकारी योजनाओं का लाभ के संबंध में विस्तृत जानकारी और आंकड़े एकत्र किए गए। सर्वे के बाद आदिम जनजाति की जनसंख्या में करीब 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
उन्होंने कहा कि जिले में आदिम जनजाति सर्वे के अनुसार कोरवा, परहिया और बिरजिया की कुल आबादी 34 हजार 938 है। 2018 की तुलना में आदिम जनजाति की जनसंख्या में 9.65 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2018 में जिला में 31 हजार 864 आदिम जनजाति निवास करते थे। वहीं वर्तमान सर्वे में उनकी जनसंख्या बढ़कर 3 हजार 938 दर्ज की गई है। उसके अलावा मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के तहत 210 लाभुक, मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत छह लाभुक, स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत 60 लाभुक और सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना के तहत 158 नए लाभुकों को लाभ दिया गया है।
डोर टू डोर सर्वे के बाद छूटे हुए नए लाभुकों के घर जाकर प्रशासन के द्वारा आवेदन प्राप्त किया गया । 1103 आदिम जनजाति परिवारों को मुख्यमंत्री आदिम जनजाति पेंशन की स्वीकृति प्रदान की गई। पेंशन स्वीकृति के लिए किसी लाभुक को कार्यालय जाने की आदिम जनजाति पेंशन योजना के तहत प्रत्येक आदिम जनजाति परिवार के एक सदस्य को (प्राथमिकता महिला) पेंशन दिया जाता है। सर्वे से पूर्व आदिम जनजाति पेंशन योजना अंतर्गत 7042 लाभुक थे। वहीं सर्वे के बाद इस योजना में वर्तमान में लाभुकों की संख्या 8145 हो गई है। गढ़वा जिला आदिम जनजाति पेंशन के मामले में पाकुड़ व गढ़वा जिला आदिम जनजाति पेंशन के मामले में पाकुड़ व साहेबगंज जैसे आदिम जनजाति बहुल जिलों के बाद राज्य में तीसरे स्थान पर है। डीसी ने कहा कि सर्वे के बाद आदिम जनजाति परिवारों के लिए जिला प्रशासन द्वारा 118 नए बिरसा आवास बनवाए जा रहे हैं। छूटे हुए 83 आदिम जनजाति बच्चियों का नामांकन बेहतर शिक्षा के लिए कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में कराया गया है। स बाद विभिन्न प्रखंडों में निवास करने वाले पीवीटीजी परिवारों को पेंशन, राशन, आवास जैसे योजनाओं के साथ-साथ सरकार के अन्य कल्याणकारी योजनाओं का भी लाभ मुहैया कराया गया है।