अजीब विडंबना है… जिस बस स्टैंड सैरात से सरकार को लाखों का राजस्व मिलता है, उस बस स्टैंड में यात्री की सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है. अगर है भी तो जर्जर और यात्रियों के उपयोग में नहीं आने लायक एक यात्री शेड व गंदगी से भरी प्लेटफार्म में एक चापाकल. चापाकल भी ऐसा कि कई बार पंप करने के बाद पानी आता है. सबसे हास्यास्पद यह है कि लाखों रूपये का राजस्व देने वाले इस बस स्टैंड में कोई यात्री बस खड़ी तक नहीं होती है. यहां सिर्फ बसों का टोकन कटता है. तकरीबन सभी बस स्टैंड एनएच के किनारे होटल या ढाबों में रूकती है.
गत सप्ताह शहर के धर्मपुर में अविस्थत बस स्टैंड सैरात की बंदोबस्ती 14 लाख 97 हजार 120 रूपये में शिक्षित बेरोजगार श्रमिक सहयोग लिमिटेड के अध्यक्ष के नाम पर नगर पंचायत द्वारा की गयी है. इस बस स्टैंड से प्रति बस 70 रूपये (अप व डाउन) रूपये राजस्व वसूली जाती है. जिस बस स्टैंड से नगर पंचायत को तकरीबन 15 लाख रूपये राजस्व की प्राप्ति होती है उस बस स्टैंड में यात्री बसों का खड़ा नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. मेदिनीनगर-रांची जाने वाली बसें एनएच पर डाकघर और थाना के पास या फिर एनएच में होटल व ढाबों में रूकती है. ऐसे में यात्रियों को सड़क पर ही लैगेज लेकर खड़ा होना पड़ता है. अगर साथ में महिलाएं और बच्चें हो तो और भी परेशानी होती है. बरसात के दिनों में यात्रियों की परेशानियों का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.