झारखंडी युवाओं के भविष्य के साथ न हो कोई खिलवाड़, नकल विरोधी काननू ला रही: हेमंत सोरेन

jharkhand
Spread the love

प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक की घटनाओं और नकल (कदाचार) रोकने के लिए राज्य सरकार ‘नकल विरोधी कानून’ बना रही है. इसके लिए विधानसभा के मानसून सत्र में विधेयक लाने की तैयारी है. राजस्थान, गुजरात व उत्तराखंड की तर्ज पर कानून निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया गया है. प्रस्ताव में पेपर लीक करने का दोषी पाये जाने पर 10 वर्षों का कारावास और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाकर दंडित किया जा सकता है. परीक्षाओं में नकल करने का दोषी पाये जाने पर संबंधित विद्यार्थी को भी तीन वर्ष तक के कारावास का प्रावधान किया जा रहा है.. दोषी छात्र पर एक लाख रुपये तक अर्थदंड और अगले दो वर्षों तक परीक्षाओं में शामिल होना प्रतिबंधित करने का दंड भी दिया जा सकता है. कैबिनेट की आगामी बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगायी जा सकती है. फिलहाल, राज्य में ‘झारखंड एग्जाम कंडक्ट रूल-2001’ प्रभावी है. इसके तहत पेपर लीक और परीक्षाओं में नकल के लिए मामूली दंड का प्रावधान है. दोषी के लिए अधिकतम छह माह का कारावास और तीन हजार रुपये तक का जुर्माना ही निर्धारित है. पेपर लीक की घटनाएं और परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए राज्य सरकार नया नकल विरोधी कानून बना रही है. नये कानून को विधानसभा की मंजूरी मिलने के बाद किसी प्रिंटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता, कोचिंग संस्थान या प्रबंधन को नकल कराने या प्रश्नपत्र लीक करने का दोषी पाये जाने पर उनको न केवल 10 वर्ष तक का कारावास और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा, बल्कि उनकी संपत्ति भी जब्त की जा सकेगी। परीक्षा में नकल की बातें अक्सर सामने आती हैं. जैसे ही परीक्षा का मौसम खत्म होता है, सबकुछ सामान्य हो जाता है. यह बीमारी किसी प्रदेश विशेष तक सिमटी हो, ऐसा भी नहीं है. न सिर्फ भारत में, बल्कि संपूर्ण दक्षिण एशियाई समाज को इस बीमारी की आदत है. परीक्षा में नकल कराना या नकल के सहारे पास करना स्वयं में एक असंगठित उद्योग है और भ्रष्ट व्यवस्था तंत्र का हिस्सा बन चुका है. पूरी हिंदी पट्टी में इस उद्योग के केंद्र फैले हैं. माता-पिता की बात तो छोड़ ही दें, शिक्षक भी बच्चों को नकल कराते हैं और उन्हें अच्छे नंबर से पास होने की गारंटी दी जाती है. यह बात और है कि कुछ प्रदेशों, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार व मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में यह प्रक्रिया ज्यादा बड़े और व्यवस्थित तरीके से संपन्न होती है. पास कराने और अच्छा नंबर दिलवाने की गारंटी ली जाती है. इनमें कुछ परीक्षा केंद्रों की ठेकेदारी का चलन है. दसवीं, बारहवीं या विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में पास होने के लिए दूर-दूर से छात्र इन केंद्रों का रोल नंबर लेते हैं. ऐसा नहीं है कि ये बातें गुपचुप तरीके से होती हैं. शासन- प्रशासन, सबको इस बात की जानकारी होती है. वे इसमें पूरी तरह से सहभागी होते हैं.
झारखड सरकार लायेगी नकल विरोधी कानून पेपर लीक करने पर एक करोड़ का जुर्माना व 10 वर्ष तक जेल ।राजस्थान, गुजरात और उत्तराखंड की तर्ज पर बन रहा है कानून कैबिनेट की मंजूरी के बाद विधानसभा में विधेयक लाने की तैयारी प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक की घटनाओं और नकल (कदाचार) रोकने के लिए राज्य सरकार ‘नकल विरोधी कानून’ बना रही है. इसके लिए विधानसभा के मानसून सत्र में विधेयक लाने की तैयारी है. राजस्थान, गुजरात व उत्तराखंड की तर्ज पर कानून निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया गया है. प्रस्ताव मैं पेपर लीक करने का दोषी पाये जाने पर 10 वर्षों का कारावास और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगा कर कानून बना रही हैं।
फिलहाल, राज्य में ‘झारखंड एग्जाम कंडक्ट रूल – 2001 प्रभावी है. इसके तहत पेपर लीक और परीक्षाओं में नकल के लिए मामूली दंड का प्रावधान है. दोषी के लिए अधिकतम छह माह का कारावास और तीन हजार रुपये तक का जुर्माना ही निर्धारित है. पेपर लीक की घटनाएं और परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए राज्य सरकार नया नकल विरोधी कानून बना रही है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *