संवेदनशील सीएम की यही पहचान
पूरे सरकारी अमले के साथ पहुंचे बूढा पहाड़

झारखण्ड
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झारखंड में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने बूढ़ा पहाड़ का दौरा किया है। मुख्मयंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, मैं लंबे समय से इन इलाको में आना चाहता था। इन इलाकों की अनदेखी हुई है, यही वजह है कि नक्सलवाद इन इलाकों में पनपा । मुख्यमंत्री ने कहा, इस बार हम हेलीकॉप्टर से आये हैं, अगली बार सड़क से आयेंगे। माओवादियों ने इस इलाके के सुनसान रहने और योजनाओं के यहां तक ना पहुंचने का लाभ उठाया है। अब लोगों को बंदूक उठाने की जरूरत नहीं है। आप सरकारी योजनाएं उठायें। मुख्यमंत्री से पूछा गया कि क्या नक्सली राज्य में खत्म हो गये हैं। इस सवाल पर हेमंत सोरेन ने कहा, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बूढ़ा पहाड़ में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, यह उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में हम पहुंचे हैं। लंबे संघर्ष और कार्य योजना का यह परिणाम है कि आज यहां ग्रामीणों के सामने मुख्यमंत्री और सरकारी अधिकारी मौजूद हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, इस वक्त उत्साह भरा माहौल है। सोरेन ने कहा, एक वक्त था जब लोग खूबसूरत वादियों का आनंद लेते थे लेकिन माओवादियों के द्वारा इस जगह को भयावह जगह बना दिया था। हमने इस क्षेत्र को सुरक्षित करने का लक्ष्य पहले से रखा था। इस लक्ष्य का ही नतीजा है कि आज यहां शांति और खुशहाली की नींव रखी जा रही है। मैं बहुत पहले से ही इस जगह पर आने के लिए प्रयास कर रहा था। मैं जानता था कि थोड़ा वक्त लगेगा आज नहीं तो कल मैं इस जगह जरूर आऊंगा। यहां के पहाड़ वादियां मेरे लिए नई
नहीं है।मुख्यंमत्री हेमंत सोरेन ने कहा, कुछ चीजें अगर योजनाबद्ध तरीके से पाने की कोशिश की जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है। आने वाले छह महीने के बाद एक बार फिर पत्रकार साथी इस क्षेत्र का दौरा करें। बूढ़ा पहाड़ में पहले और अब में क्या बदला यह देख सकते हैं। हेमंत सोरेन ने कहा, मैंने गांव के लोग, गांव के लोगों की मन की भाषा को समझता हूं। मैं उनकी बातों को उनके मन की बातों को भी समझता हूं। पूरे जंगल में घर है। लोग काफी दूर से आये हैं। पैदल चलकर पहाड़ पार कर यहां तक पहुंचे हैं। अगली बार हम जब भी आयेंगे तो सड़क मार्ग से आयेंगे इस बार तो हम हेलीकॉप्टर के साथ आये हैं। ग्रामीणों ने बड़े पैमाने पर सरकारी योनजाओं में रूचि दिखायी है।

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, गांव की योजनाओं की जो नींव रखी जा रही है उसकी स्थिति पर हमेशा नजर रखी जायेगी। पहले की तरह लापरवाही अब इन इलाकों में नहीं होगी कि माओवादी उसका लाभ उठा लें। डर कर आप कितने दिन जिंदा रहेंगे। मान सम्मान और स्वाभिमान के साथ चलिए। आप सरकारी योजनाएं उठाइये। आप जो लक्ष्य पाना चाहते हैं उससे बंदूक के जरिए नहीं सरकारी योजनाओं के जरिए लाभ उठाइये। मुख्यमंत्री ने कहा, नक्सलियों के लिए सरेंडर पॉलिसी है। हम चाहते हैं कि वह सरेंडर करें हिस्सा का रास्ता छोड़ दें। नक्सलियों के लिए ओपेन जेल है। सरेंडर करने वाले नक्सली अपने परिवार के साथ रहते हैं।
मुख्मयंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, राज्य में नक्सलवाद पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। अभी इसी तरह अभियान चलता रहा और ऐसे प्रभावित क्षेत्रों के मदद के लिए केंद्र सरकार राज्य की मदद करती रहे तो और लाभ मिलेगा। हमने इस इलाके में सफलता हासिल की से मिलने ऐप खोलें ऐसे में न प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष प्रबंध केंद्र सरकार को करना चाहिए।

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