आज न्यायमूर्ति एलपीएन शाहदेव की पुण्यतिथि पर कांके रोड स्थित चौक पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने का झारखंड अलग राज्य के आंदोलनकारी को करने का सौभाग्य मिला। श्री धर्मेंद्र तिवारी ने कहा
बहुत कम लोगों को यह जानकारी होगी की झारखंड के पहले न्यायाधीश और बुद्धिजीवी पुरोधा के रूप में झारखंड आंदोलन को सभी पार्टियों को लेकर एक मती बनाई। और केंद्र राज्य सरकार पर दबाव का तरीका बताया। आंदोलनकारी जस्टिस शाहदेव के नेतृत्व में सड़क पर उतरे और हजारों गिरफ्तार हुए। देश में या पहली घटना थी कि जहां अवकाश प्राप्त न्यायाधीश को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई को समझ में आ गया कि आंदोलन को बेचने वाले नहीं। अब खरीदने वाले आ गए हैं। मतलब बुद्धिजीवी लोगों के हाथों में आंदोलन आ गया उसी का प्रतिफल आज हम सभी अलग राज्य में बैठे हैं। 24 वर्षों का राज्य झारखंड आंदोलनकारी का सुधी तक नहीं लिया ।सरकार को जस्टिस शाहदेव देव को सम्मान देना चाहिए और केंद्र सरकार को भी लिखना चाहिए । सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब आंदोलन में शामिल उनको भी सम्मान मिले और परिवार के भरण पोषण का ख्याल सरकार को करना चाहिए। केवल श्रद्धा सुमन अर्पित करने से ही नहीं चलेगा धर्मेंद्र तिवारी ने कहा सच्ची श्रद्धांजलि जो आंदोलन में साथ थे उनको भी न्याय मिलना और सम्मान मिलना चाहिए। तभी हम अपनी धरोहर को सम्मान से देख पाएंगे और उनका अनुसरण करेंगे।
