झारखंड राज्य के मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पहले ऐसे आदिवासी थे जो इंग्लैंड में पढ़ने गए थे। यह भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भी थे इन्होने भारत को ओलंपिक में स्वर्ण पदक भी दिलाया था। और इन्होने खेलो और शिक्षा के साथ-साथ राजनीति में भी योगदान दिया है यह संविधान सभा के सदस्य रहे हैं और इन्होंने झारखंड आंदोलन की नींव रखी थी। इनके नाम पर यह नई योजना निकाली जा रही है। योजना नई पीढ़ी के आदिवासी नागरिको को संभावनाओं को अवसर में बदलने का मौका देगी। झारखंड के हेमंत सोरेन की सरकार कहना है कि अगर गठन के बाद भी राज्य के नागरिको को अपनी प्रतिभा को निखारने का अवसर नहीं दिया। तो इसका मुख्य कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के सीमित अवसर होना है। यही कारण है कि इस योजना को शुरू किया गया जिससे राज्य के नागरिको को राज्य एवं देश निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर दिया जायेगा।
मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना झारखंड सरकार ने आदिवासी विद्यार्थियों के लिए नए साल पर एक नई योजना का आरम्भ किया है। जिसका नाम मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के अंतगर्त झारखंड सरकार राज्य के अनुसूचित जाति के प्रतिभावान लड़को लड़कियों को ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज जैसे प्रतिष्ठित विदेशी यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा लेने का मौका दे रही है। झारखंड भारत का ऐसा राज्य है जो अपने राज्य के लाभारतीयो के लिए ऐसी नई योजना की शुरुआत करने जा रहा है। मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ट्रांसनेशनल स्कॉलरशिप स्कीम के अंतगर्त अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति अल्पसंख्यक एवं अन्य पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचित जाति के 10 विद्यार्थियों का चयन किया जाएगा ।
विश्वविद्यालय से मास्टर्स की डिग्री का ख्वाब देखने वाले पूर्वी सिंहभूम के एक आदिवासी छात्र अजय हेम्ब्रम ने लंदन में डिस्टींक्शन के साथ मास्टर्स डिग्री लेकर अपनी प्रतिभा को साबित कर दिखाया है। एक साधारण परिवार से आने वाले अजय के लिए विदेशी विश्वविद्यालय से मास्टर्स की डिग्री लेने की सोच पाना भी मुश्किल था. लेकिन जब उसे झारखंड सरकार की “मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना” का साथ मिला तो उसने अपना ख्वाब सच कर दिखाया।