हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में आदिम जनजाति हो या नक्सल प्रभावित बूढ़ा पहाड़ सबके बदल रहे हालात

झारखण्ड
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बूढ़ा पहाड़ के लिए शुक्रवार नई उम्मीदों और आशाओं से भरा दिन था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नक्सलियों के गढ़ में पहुंचकर बूढ़ा पहाड़ डेवलपमेन्ट प्रोजेक्ट का शुक्रवार को शुभारंभ किया। इस प्रोजेक्ट के तहत एक सौ करोड़ रुपए से इस क्षेत्र में सभी मूलभूत जरूरी अनिवार्य और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गढ़वा जिले के टेहरी पंचायत के बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में अब गोलियों की तड़तड़ाहट नहीं विकास की गूंज सुनाई देगी।
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि कभी बूढ़ा पहाड़ माओवादियों के खौफ का गवाह था। पूरे इलाके को माओवादियों ने अपने कब्जे में कर रखा था, कड़ी चुनौती देते हुए पूर क्षत्र का नक्सल मुक्त करा लिया है। आज हम सभी यहां एकत्रित हुए हैं और विकास की एक नई शुरुआत करने जा रहे हैं। शायद पहली बार यहां ऐसा
नई शुरुआत करने जा रहे हैं। शायद पहली बार यहां ऐसा खुशनुमा माहौल देखने को मिल रहा है। आने वाले दिनों में यह इलाका भी विकास के मामले में मील का पत्थर साबित होगा। वापस मुख्यधारा में लौटें भटके युवा मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस भी वजह से नौजवानों ने
भटकाव की राह पकड़ी हो, वे मुख्यधारा में वापस आएं।
मुख्यधारा से भटकना किसी समस्या का समाधान नहीं है।
बंदूक के बल पर आप कुछ देर के लिए डर और खौफ का
माहौल तो पैदा कर सकते हैं, लेकिन यह ना तो आप के
हित में है और ना ही समाज के आप बंदूक का साथ छोड़ें
और सरकार के साथ जुड़
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन उत्पादों को बढ़ावा देने की सरकार ने योजना बनाई है। इसके तहत वन उत्पादों का एमएसपी तय किया जाएगा, ताकि इस पर आश्रित ग्रामीणों को वन उपजों का वाजिब मूल्य मिल सके। सरकार इन वन ‍ दवा दुकान खोल कर गांव में इंटर तक पढ़े लोगों को भी लाइसेंस मिल सकेगा। वहीं, इन दवा दुकानों को मोबाइल के जरिए सरकारी डाक्टर से जोड़ा जाएगा, जहां 24 घंटे आनलाइन सेवा मिल सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज सरकार के पास मुख्यधारा से भटके हुए लोगों के समर्पण हेतु बेहतर नीति है। एक ओर सरकार उनके विकास के लिए सरकार की योजनाओं से लाभान्वित तो कराती है, साथ ही उनके परिवार के साथ रहने के लिए ओपन जेल और उनके बच्चों के पढ़ाई के लिए भी पूरी व्यवस्था कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज समाज में बदलाव आ रहा है। पुरुष और महिलाएं किसी भी मायने में एक- दूसरे से कम नहीं है। कई मायनों में तो पुरुष से अधिक महिलाएं जागरूक होकर कार्य कर रहीं है। सरकार से सहायता प्राप्त कर ट्रैक्टर देकर मुनाफा कम कर रहीं है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर बूढ़ा पहाड़ डेवलपमेन्ट प्रोजेक्ट के तहत पांच करोड़ दो लाख 79 हजार 939 रुपये लागत की कुल 175 योजनाओं का शुभारंभ किया, जिसमें विशेष केन्द्रीय सहायता योजना से कुल एक करोड़ 58 लाख 2 हजार 343 रुपये की 13 योजनाएं, उर्जा विभाग की 59 लाख 42 हजार 494 रुपये की एक योजना, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, झारखंड सरकार के भूमि संरक्षण प्रभाग से 48 लाख 50 हजार रुपये की कुल 07 योजनाएं, मनरेगा अंतर्गत दो करोड़ 10 लाख 35 हजार 438 रुपये की 135 योजनायें एवं 15वें वित्त की 26 लाख 49 हजार 664 रुपये की 19 योजनायें शामिल हैं। योजनाओं का लाभ टेहरी और हर्सी पंचायत के 11 गांवों के लगभग 5500 परिवारों को होगा। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर 429 लाभुकों के बीच एक करोड 25 लाख 81 हजार 303 रुपये की परिसंपत्तियों का वितरण किया।
हेमंत सोरेन के अनुसार पिछले 100 सालों से राज्य के आदिवासियों की ज़िंदगियां कुछ बेहतर नहीं हो सकी हैं. उनका कहना था कि आदिवासियों के परंपरागत जंगल के उत्पादों में न तो कोई वृद्धि हुई ना उनके लिए रोज़गार और शिक्षा के ही नए रास्तों का सृजन हो पा रहा है।
हेमंत सोरेन बताते हैं, “आदिवासी कभी भी बैंक के भरोसे नहीं रहा है. वो अपने पालतू जानवरों पर ही भरोसा रखता था जिसे ज़रूरत होने पर वो बेच सकता था. आज पशुपालन के दृष्टिकोण से देखा जाए तो ग्रामीण और जंगल के इलाक़ों में ना पशुधन है और ना ही उनको पालने के उपाय ही किए गए हैं. कई ऐसे उत्पाद हैं जैसे लाह जो झारखंड में ही पाए जाते हैं, जिनके उत्पादन पर ध्यान देने से रोज़गार के नए अवसर भी पैदा हो सकते हैं.”
हेमंत का कहना है कि इन्हीं सब परिस्थितियों को देखते हुए उनकी सरकार ने जनजातीय समुदाय के ऐसे छात्रों के लिए छात्रवृति की घोषणा की है जो विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं.
हेमंत सोरेन ने कहा है कि वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों- मूलवासियों के अधिकार में किसी भी हाल में कमी नहीं होने दी जाएगी। इसके लिए पार्टी अंतिम दम तक लड़ाई लड़ेगी।
हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में आदिम जनजाति हो या नक्सल प्रभावित बूढ़ा पहाड़ सबके बदल रहे हालात।

बूढ़ा पहाड़ के लिए नई उम्मीदों और आशाओं से भरा दिन है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नक्सलियों के गढ़ में पहुंचकर बूढ़ा पहाड़ डेवलपमेन्ट प्रोजेक्ट का शुक्रवार को शुभारंभ किया। इस प्रोजेक्ट के तहत एक सौ करोड़ रुपए से इस क्षेत्र में सभी मूलभूत जरूरी अनिवार्य और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गढ़वा जिले के टेहरी पंचायत के बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में अब गोलियों की तड़तड़ाहट नहीं विकास की गूंज सुनाई देगी।
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि कभी बूढ़ा पहाड़ माओवादियों के खौफ का गवाह था। पूरे इलाके को माओवादियों ने अपने कब्जे में कर रखा था, कड़ी चुनौती देते हुए पूर क्षत्र का नक्सल मुक्त करा लिया है। आज हम सभी यहां एकत्रित हुए हैं और विकास की एक नई शुरुआत करने जा रहे हैं। शायद पहली बार यहां ऐसा
नई शुरुआत करने जा रहे हैं। शायद पहली बार यहां ऐसा खुशनुमा माहौल देखने को मिल रहा है। आने वाले दिनों में यह इलाका भी विकास के मामले में मील का पत्थर साबित होगा। वापस मुख्यधारा में लौटें भटके युवा मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस भी वजह से नौजवानों ने
भटकाव की राह पकड़ी हो, वे मुख्यधारा में वापस आएं।
मुख्यधारा से भटकना किसी समस्या का समाधान नहीं है।
बंदूक के बल पर आप कुछ देर के लिए डर और खौफ का
माहौल तो पैदा कर सकते हैं, लेकिन यह ना तो आप के
हित में है और ना ही समाज के आप बंदूक का साथ छोड़ें
और सरकार के साथ जुड़
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन उत्पादों को बढ़ावा देने की सरकार ने योजना बनाई है। इसके तहत वन उत्पादों का एमएसपी तय किया जाएगा, ताकि इस पर आश्रित ग्रामीणों को वन उपजों का वाजिब मूल्य मिल सके। सरकार इन वन ‍ दवा दुकान खोल कर गांव में इंटर तक पढ़े लोगों को भी लाइसेंस मिल सकेगा। वहीं, इन दवा दुकानों को मोबाइल के जरिए सरकारी डाक्टर से जोड़ा जाएगा, जहां 24 घंटे आनलाइन सेवा मिल सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज सरकार के पास मुख्यधारा से भटके हुए लोगों के समर्पण हेतु बेहतर नीति है। एक ओर सरकार उनके विकास के लिए सरकार की योजनाओं से लाभान्वित तो कराती है, साथ ही उनके परिवार के साथ रहने के लिए ओपन जेल और उनके बच्चों के पढ़ाई के लिए भी पूरी व्यवस्था कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज समाज में बदलाव आ रहा है। पुरुष और महिलाएं किसी भी मायने में एक- दूसरे से कम नहीं है। कई मायनों में तो पुरुष से अधिक महिलाएं जागरूक होकर कार्य कर रहीं है। सरकार से सहायता प्राप्त कर ट्रैक्टर देकर मुनाफा कम कर रहीं है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर बूढ़ा पहाड़ डेवलपमेन्ट प्रोजेक्ट के तहत पांच करोड़ दो लाख 79 हजार 939 रुपये लागत की कुल 175 योजनाओं का शुभारंभ किया, जिसमें विशेष केन्द्रीय सहायता योजना से कुल एक करोड़ 58 लाख 2 हजार 343 रुपये की 13 योजनाएं, उर्जा विभाग की 59 लाख 42 हजार 494 रुपये की एक योजना, कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, झारखंड सरकार के भूमि संरक्षण प्रभाग से 48 लाख 50 हजार रुपये की कुल 07 योजनाएं, मनरेगा अंतर्गत दो करोड़ 10 लाख 35 हजार 438 रुपये की 135 योजनायें एवं 15वें वित्त की 26 लाख 49 हजार 664 रुपये की 19 योजनायें शामिल हैं। योजनाओं का लाभ टेहरी और हर्सी पंचायत के 11 गांवों के लगभग 5500 परिवारों को होगा। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर 429 लाभुकों के बीच एक करोड 25 लाख 81 हजार 303 रुपये की परिसंपत्तियों का वितरण किया।
हेमंत सोरेन के अनुसार पिछले 100 सालों से राज्य के आदिवासियों की ज़िंदगियां कुछ बेहतर नहीं हो सकी हैं. उनका कहना था कि आदिवासियों के परंपरागत जंगल के उत्पादों में न तो कोई वृद्धि हुई ना उनके लिए रोज़गार और शिक्षा के ही नए रास्तों का सृजन हो पा रहा है।
हेमंत सोरेन बताते हैं, “आदिवासी कभी भी बैंक के भरोसे नहीं रहा है. वो अपने पालतू जानवरों पर ही भरोसा रखता था जिसे ज़रूरत होने पर वो बेच सकता था. आज पशुपालन के दृष्टिकोण से देखा जाए तो ग्रामीण और जंगल के इलाक़ों में ना पशुधन है और ना ही उनको पालने के उपाय ही किए गए हैं. कई ऐसे उत्पाद हैं जैसे लाह जो झारखंड में ही पाए जाते हैं, जिनके उत्पादन पर ध्यान देने से रोज़गार के नए अवसर भी पैदा हो सकते हैं.”
हेमंत का कहना है कि इन्हीं सब परिस्थितियों को देखते हुए उनकी सरकार ने जनजातीय समुदाय के ऐसे छात्रों के लिए छात्रवृति की घोषणा की है जो विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं.
हेमंत सोरेन ने कहा है कि वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों- मूलवासियों के अधिकार में किसी भी हाल में कमी नहीं होने दी जाएगी। इसके लिए पार्टी अंतिम दम तक लड़ाई लड़ेगी।

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