बुधवार सुबह पीके रॉय मेमोरियल कॉलेज धनबाद के रिकवरी एजेंट उपेंद्र सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गयी. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की टीम ने 29 दिसंबर 2021 को उपेंद्र सिंह के घर पर छापेमारी की थी. एनआईए ने धनबाद के साथ देश के दूसरे हिस्सों में भी छापेमारी की थी. छापेमारी माओवादियों व आपराधिक गिरोहों को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के हथियार व कारतूस सप्लाई को लेकर की गयी थी. बता दें कि उपेंद्र हाल ही में धनबाद जेल से छूटा था. उसपर अपने रिश्तेदार को गोली मारने का आरोप था.
धनबाद के अलावा देश अन्य शहरों में भी हुई थी छापेमारी
एनआइए ने देश के 4 राज्यों के 12 ठिकानों पर एक साथ की गई थी. झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश व बंगाल में छापेमारी की गई थी. छापेमारी माओवादियों, कुख्यात अपराधियों को हथियार-कारतूस सप्लाई करने से संबंधित थी. यहां से एनआइए को एक लाख 46 हजार रुपये नकदी, डिजिटल उपकरण जिनमें लैपटॉप, सेलफोन, कंप्यूटर व डिजिटल स्टोरेज उपकरण,संदिगध दस्तावेज व कारतूस रखने के बॉक्स बरामद किए गए थे. एनआइए की रांची शाखा में दर्ज प्राथमिकी के अनुसंधान के सिलसिले में यह छापेमारी हुई थी. सभी 12 ठिकाने इस केस में शामिल आरोपियों व संदिग्धों के थे. ये ठिकाने झारखंड के धनबाद, सरायकेला-खरसांवा व रांची, बिहार के पटना, छपरा व गया, उत्तर प्रदेश के चंदौली और पश्चिम बंगाल के वर्द्धमान जिले के थे.
झारखंड पुलिस ने 14 नवंबर 2021 को दर्ज की थी प्राथमिकी
झारखंड पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते में 14 नवंबर 2021 को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई थी. हथियार व कारतूस की सप्लाई में सीआरपीएफ व बीएसएफ के जवानों की संलिप्तता भी सामने आयी थी. झारखंड पुलिस की आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) में दर्ज हथियार तस्करी के केस को टेकओवर करते हुए एनआइए की रांची शाखा ने नौ दिसंबर 2021 को प्राथमिकी दर्ज की थी. पूरा मामला माओवादियों-अपराधियों को अवैध तरीके से हथियार व सुरक्षा बलों के कारतूस की सप्लाई से संबंधित है. इन हथियारों व कारतूसों का इस्तेमाल माओवादी व अपराधी लेवी वसूलने और सुरक्षा बलों पर हमले के रूप में करते रहे हैं. हथियार सप्लाई के इस प्रकरण में सीआरपीएफ व बीएसएफ से जुड़े तीन जवानों की भी झारखंड एटीएस ने गिरफ्तारी की थी. जिनके खिलाफ एनआइए अनुसंधान कर रही है.