रांची : सेंट पीटर्सबर्ग, रूस दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित वैश्विक मंचों में से एक, सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम (स्पीफ) 2025 में बोलते हुए, साइबरपीस के संस्थापक और वैश्विक अध्यक्ष विनीत कुमार ने डिजिटल युग में संप्रभुता की पुनर्परिभाषा की ज़रूरत पर जोर दिया और सभी वैश्विक नेताओं से एकजुट होकर साइबर लचीलापन और ट्रस्ट-बेस्ड डिजिटल गवर्नेस को अपनाने की अपील की। वाल्दाई डिस्कशन क्लब द्वारा आयोजित उच्च स्तरीय सत्र में अपने विचार रखते हुए, विनीत कुमार ने बताया कि आज का साइबरस्पेस एक नया भू-राजनीतिक युद्धक्षेत्र बन चुका है – जहाँ शांति और युद्ध, राज्य और गैर-राज्य, और मानव और मशीन के बीच की सीमाएँ धुंधली होती जा रही हैं।
“जहाँ पहले संप्रभुता भौगोलिक सीमाओं से तय होती थी, अब वह साइबर दुनिया की बिना सीमाओं वाली वास्तविकता में चुनौती बन चुकी है। इस निरंतर बदलती दुनिया में, शांति केवल घोषणाओं से नहीं, बल्कि कोडिंग और विश्वास से स्थापित होगी,” विनीत कुमार ने कहा।
उन्होंने चेतावनी दी कि आज की दुनिया को राष्ट्रीय साइबर ढांचे पर हमलों, सीएसएएम (बाल यौन शोषण सामग्री), साइबर दासता, एआई के दुरुपयोग, डीपफेक, गलत सूचना और अदृश्य एल्गोरिदम जैसी खतरनाक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो लोकतंत्र और नागरिक विश्वास की नींव को हिला सकते हैं। कुमार ने डिजिटल संप्रभुता के लिए तीन स्तंभों की रूपरेखा प्रस्तुत कीः
साइबर लचीलापन बिना सीमाओं वाले साइबर खतरों से निपटने की क्षमता
डेटा संप्रभुता – नागरिकों के डेटा को सुरक्षित और नैतिक तरीके से संचालित करना
नैतिक संप्रभुता – एआई, साइबर युद्ध और डिजिटल अधिकारों पर वैश्विक नियम बनाना
विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) देशों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा,.”हमें तकनीक का सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि इसके सह-लेखक बनना होगा।”
साइबरपीस एक वैश्विक नागरिक संस्था है जो डिजिटल नैतिकता, साइबर डिप्लोमेसी और सुरक्षित इंटरनेट को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रही है। मंच पर श्री कुमार ने बताया कि संगठन किस प्रकार साइबर फर्स्ट रिस्पॉन्डर को प्रशिक्षित करता है, एआई और साइबर सुरक्षा हैकथॉन आयोजित करता है, और वॉइस क्लोनिंग, साइबर बुलीइंग, सीएसएएम, व साइबर स्लेवरी जैसे खतरों से लड़ता है।
उन्होंने विश्व नेताओं से निम्नलिखित अपील की:
- एआई, साइबर अपराध और हाइब्रिड युद्ध पर बाध्यकारी वैश्विक नियम बनाए जाए
- विकासशील देशों में साइबर क्षमताओं को मजबूत किया जाए
- लोकतांत्रिक संस्थानों को डिजिटल हेराफेरी से बचाया जाए
- एक निष्पक्ष और समावेशी डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जाए
विनीत कुमार ने यह भी कहा कि वर्तमान समय में म्युचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटीज (म्लैट्स) जैसे मौजूदा सहयोग मॉडल पर्याप्त नहीं हैं और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र साइबर अपराध संधि (हनोई कन्वेंशन) जैसे वैश्विक समझौतों में सभी देशों की समान भागीदारी पर बल दिया।
“आइए इस मंच को एक आह्वान का रूप दें,” उन्होंने समापन में कहा। “जहाँ मॉस्को, दिल्ली, बीजिंग, कोलंबो और काठमांडू केवल भू-राजनीतिक ताकतें नहीं, बल्कि साइबर शांति-दूत बनकर एकजुट हों।” सत्र के प्रमुख वक्ता थेः डेनिस मंटुरोव, प्रथम उप-प्रधानमंत्री, रूस,
रोजर कोप्पेल, संपादक एवं प्रकाशक, डाई वेल्टवोचे,विनीत कुमार, संस्थापक अध्यक्ष, साइबरपीस फाउंडेशन; अध्यक्ष, नेशनल एंटी-हैकिंग ग्रुप,फेंग वेई, उपाध्यक्ष, चीन इंस्टिट्यूट फॉर इन्नोवेशन एंड डेवलपमेंट स्ट्रेटेजी,रानिल विक्रमसिंघे, पूर्व राष्ट्रपति, श्रीलंका (2022-2024); संस्थापक, जियोपोलिटिकल कार्टोग्राफर बिनोद चौधरी, अध्यक्ष, चौधरी समूह; प्रमुख, भूराजनीतिक मानचित्रकार, नेपाल
सत्र का संचालन फ्योदोर लुक्यानोव, अनुसंधान निदेशक, वलदाई डिस्कशन क्लब फाउंडेशन ने किया.
साइबरपीस के बारे में
साइबरपीस एक अंतरराष्ट्रीय नागरिक संगठन है, जो सुरक्षित और शांतिपूर्ण साइबर दुनिया सुनिश्चित करने के लिए कई देशों और हितधारकों के साथ मिलकर कार्य करता है। यह संस्था साइबर कूटनीति, जागरूकता, और समय पर प्रतिक्रिया के माध्यम से डिजिटल खतरों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है।