क्या झारखंड में भाजपा की डूबती नैया को अमित शाह बचा पाएंगे ? क्या रघुबर दास , दीपक प्रकाश , बाबूलाल मरांडी को इस ब्रांडेड नेता का मिलेगा फायदा

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झारखंड में नए सिरे से राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है ।भाजपा आलाकमान ने राज्य में गतिविधियां बढ़ाने का फैसला लिया है ।इसी कड़ी में हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल राज्य के दौरे पर आए थे ।उन्होंने अपने प्रवास के क्रम में वरीय नेताओं से विचार-विमर्श किया ।समाज के अलग-अलग तबकों के प्रबुद्ध लोगों से मुलाकात कर राज्य से संबंधित जानकारी ली संगठन को धार देने के लिए टिप्स भी दिए। झारखंड भारतीय जनता पार्टी मिशन 2024 के लिए पूरी तरह से रेस हो गई है। इसी क्रम में अब पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए झारखंड आ रहे हैं । राज्य में चुनावी अभियान शुरू करने के लिए अमित शाह ने कोल्हान प्रमंडल के मुख्यालय चाईबासा को चुना। वे यहां प्रदेश स्तर के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक का दिशा निर्देश देंगे। इसमें आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनेगी प्रदेश स्तर को सलाह दिया गया है कि मंडल स्तर पर गतिविधियों के साथ-साथ सक्रियता बढ़ाई जाए।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा की वैसी 140 सीटों को चयन किया है जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी या प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा था ।झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से 12 सीटों पर जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी को चाईबासा और राजमहल लोकसभा सीट पर हार मिली थी। 2024 के लोकसभा चुनाव के आसपास ही झारखंड में विधानसभा का चुनाव होना है ।2019 में पार्टी यहां सत्ता से बाहर हो गई थी ।आगामी चुनाव के लक्ष्य में आगामी चुनाव में लक्ष्य सत्ता की वापसी का भी है ।भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह द्वारा कोल्हान प्रमंडल मुख्यालय से पार्टी की अभियान शुरुआत के खास मायने हैं ।कोल्हान प्रमंडल की लगभग 14 विधानसभा सीटों पर कभी भाजपा का दबदबा हुआ करता था ,लेकिन पिछले चुनाव में पार्टी की स्थिति डामाडोल हो गई ।कोल्हान प्रमंडल के 3 जिले पूर्वी सिंहभूम , पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला खरसावां में भाजपा का खाता तक नहीं खुला ।तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को अपनी परंपरागत सीट पर हार का सामना करना पड़ा ,पार्टी के भीतर इस को लेकर मंथन चल रहा है कि इस इस परिस्थिति को किस प्रकार बदलाव लाया जाए। राज्य के हर जिले में जल्द ही पार्टी की गतिविधियां तेज होगी। सभी जिलों में अलग-अलग केंद्रीय मंत्री प्रवास करेंगे ,इस दौरान कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रणनीति बनाई जाएगी ।
वही झारखंड में झामुमो झामुमो की अगुवाई वाली हेमंत सरकार ने इसी दिसंबर में अपने 3 साल पूरे कर लिए हैं ।आदिवासियों मूल वासियों के हक और जल ,जंगल जमीन से जुड़े मुद्दे पर संघर्ष से जुड़ी इस पार्टी को पहली बार कायदे से सत्ता का खाद पानी हासिल हुआ है ।यह कहने में कोई गुरेज नहीं होनी चाहिए कि पावर एक्सरसाइज की बदौलत वह अपने अब तक के इतिहास में आज सबसे मजबूत स्थिति में है ।पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन जो राज्य के मुख्यमंत्री भी हैं, तमाम मुश्किलों और चुनौतियों के बीच भी सियासी पिच पर आक्रमक बैटिंग कर रहे हैं ।झारखंड में 1932 के खतियान पर आधारित अनुसार पॉलिसी, ओबीसी एसटी एससी आरक्षण के प्रतिशत में वृद्धि, नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का विस्तार ना देने की 30 वर्ष पुरानी मांग पर सहमति ,राज्य कर्मियों के लिए पुराना पेंशन पर सहमति, आंगनबाड़ी सेविका सहायिका के वेतनमान में इजाफा, पुलिसकर्मियों को प्रति वर्ष 13 माह का वेतन ,पारा शिक्षकों की सेवा का स्थायीकरण, सहायक पुलिस कर्मियों को अनुबंध पर विस्तार ,मुख्यमंत्री असाध्य रोग उपचार योजना की राशि 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने ,पंचायत सचिव के पदों पर दलपतियों की नियुक्ति जैसे फैसले से सरकार ने अपनी लोकप्रियता का सेंसेक्स बहुत ऊंचा कर लिया है।

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