Ranchi : हमें डरा-धमका कर कोई भी काम नहीं करा सकता है. अगर कोई प्यार से पेश आए तो अपना सिर भी काट कर दे दूं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह बात शुभम संदेश संवाददाता के उस सवाल के जवाब में कही, जिसमें उनसे पूछा गया था कि आप लगातार कह रहे हैं कि जब भी केंद्र से राज्य का हिस्सा मांगते हैं, तो हमारे पीछे ईडी और जांच एजेंसी लगा देती है. सरकार गठन के कुछ घंटे बाद से ही हमारी सरकार को गिराने का प्रयास शुरू हो गया. क्या इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनने के बाद आपको डरा-धमका कर गठबंधन से दूर रहने का दबाव तो नहीं बनाया जा रहा है? हेमंत सोरेन ने आगे कहा कि वह गुरुजी के पुत्र और झारखंड आंदोलन की उपज हैं. अगर कोई यह समझ रहा है कि डरा धमका कर कुछ करा लेगा तो वह मुगालते में जी रहा है. डरा-धमका के कोई भी हमसे कुछ नहीं करा सकता है. हां, अगर प्यार से कोई कहे तो अपना सिर भी काट कर रख दूं. सरकार के कार्यकाल के चार वर्ष पूरे होने के एक दिन पहले वह अपने आवास पर पत्रकारों से बात कर रहे थे.
पीएम चेहरे की जरूरत नहीं
पीएम का चेहरा : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इंडिया गठबंधन को पीएम चेहरे की जरूरत नहीं है. चेहरा तो एक कृत्रिम उपज है. असल में चेहरा तो जनता बनाती है. इसलिए इंडिया गठबंधन का पीएम के चेहरे को लेकर इस तरह का विवाद पैदा नहीं किया जाना चाहिए. यह देश के लिए कोई इश्यू नहीं है. देश के इश्यू क्या है, यह पूरा देश जानती है. हम इश्यू और मुद्दों पर अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं.
ईवीएम : चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल हो या ना हो, इस सवाल पर सीएम श्री सोरेन ने कहा कि ईवीएम का इस्तेमाल कहां से शुरू हुआ. जहां से इस तकनीक का इस्तेमाल शुरू हुआ, वहां क्यों बंद हो गया. हर वो तकनीक जिससे लोकतांत्रकि देश में चुनाव की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो, उससे तौबा कर लेनी चाहिए. अगर हम इंडिया को बतौर विश्व गुरु प्रोजेक्ट कर रहें तो कम से कम इस आधार पर ही ईवीएम को समाप्त कर देना चाहिए और पुराने सिस्टम से चुनाव कराने चाहिए.
संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल : हाइकोर्ट द्वारा खनन लीज मामले में मिली राहत से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि भारत एक संघीय ढ़ांचे के तहत काम करता है. क्या आज संघीय ढांचा अपने सिस्टम से काम कर रहा है. आखिर क्यों संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठ रहा है. पूरा देश देख रहा है और समझ रहा है. कहां-क्या और कैसे हो रहा है. यह देश कानून और संविधान से चलता है. देश में कानून और संविधान है कि नहीं.
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जीएसटी : टैक्स में राज्य के हिस्से पर बात करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सभी जानते हैं कि देश में जीएसटी लागू है. इसके लागू होने के बाद राज्यों के पास आय के साधन बहुत सीमित रह गए हैं. केवल एक्साईज, बालू-गिट्टी सहित कुछ छोटे-छोटे चीज ही आय के साधन बच गए हैं. मगर इस पर भी विपक्ष की नजर है. रोड़े अटका रहा है. आखिकार राज्य को आय कैसे प्राप्त हो. विपक्ष के साथी झारखंड का हिस्सा मांगने में मदद नहीं करते हैं, केवल रोड़े अटकाने और विकास को बाधित करने का प्रयास करते रहते हैं.
विपक्ष में नहीं दिखेगा कहीं : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हम क्या काम किए हैं और क्या कर रहे हैं. इसका सर्टिफिकेट जनता देगी. अगर हम काम बताना शुरू करें और सूची बनाना शुरू करें तो विपक्ष उसमें समा जाएगा. राज्य गठन हुआ तो सरप्लस बजट था. आज हम घाटे के बजट के साथ राज्य के विकास को गति दे रहे हैं. सरप्लस बजट गया कहां. जो काम आज हो रहे हैं, क्या वह पहले नहीं हो जाना चाहिए था. हम यह नहीं कहते हैं कि राज्य की सारी समस्या खत्म हो गयी. मगर इसे सुधारने का काम तो शुरू हो चुका है. हम यह भी नहीं कह सकते हैं कि सिस्टम से भ्रष्टाचार शून्य हो गया. मगर इसे कम करने की दिशा में काम शुरू हो चुके हैं. विपक्ष ने राज्य बनने के बाद पेड़ के फल-फुल और पत्ते-डाली तक काट डाले, हम उसे फिर से हरा करने में जुटे हैं.
राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा: हम धर्म और जात की राजनीति नहीं करते हैं. हम विकास और सबका हित हो, उस सोच के तहत काम करते हैं. अभी तक राममंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आमंत्रण मुझे नहीं मिला है, अगर बुलावा आया तो जरूर जाएंगे. हम मंदिर भी जाते हैं, मस्जिद भी जाते हैं, गुरुद्वारा भी जाते हैं और चर्च भी जाते हैं. इसलिए राम मंदिर जाने में क्या दिक्कत होगी.
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धनबाद की समस्या : धनबाद में कानून-व्यवस्था की स्थिति के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत बिजी शिड्यूल में चल रहे थे. कुछ दिन पहले ही धनबाद के हालात के बारे में मुझे पता चला. इसके बारे में केवल इतना ही कह सकते हैं कि धनबाद में उत्पन्न हुई समस्या के राजनीतिक कारण भी हैं. समस्या उत्पन्न भी किए गए हैं. जहां समस्या उत्पन्न हुए हैं, वहां के लोग आएं, वे ही इसका हल बताएं, उनके बताए रास्ते के जरिए ही इसका हल निकालेंगे. मुझे लगता है कि वहां कुछ प्रशासनिक बदलाव किए गए हैं, अब कुछ न कुछ हल निकल आना चाहिए.
…तो हम पेंशन पांच हजार रुपया दें देंगे: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारी सरकार राज्य के हर वर्ग, हर कर्मचारी के हित को देखकर काम कर रही है. हमने हर कर्मचारियों और हर वर्ग को ध्यान में रखकर काम किया. पूर्ववर्ती सरकारों ने सामाजिक सुरक्षा को लेकर कुछ काम नहीं किया. क्या विधवा होने की उम्र होती है. क्या विधवा होने के वर्षों बाद उसे पेंशन मिलेगा. हमने इस दर्द को समझा, जो कोई महिला विधवा होगी उसे उसी दिन से पेंशन मिलेगा. आज आप सर्च मशीन लेकर खोजिए कोई बुजुर्ग नहीं मिलेगा जिसे पेंशन नहीं मिल रहा है. पूरे देश में यूनिवर्सल पेंशन देने वाला झारखंड पहला राज्य बना. ओल्ड पेंशन भी झारखंड से शुरू हुआ. आज पेंशन की राशि पूरे देश में सबसे अधिक झारखंड में हैं. अगर केंद्र हमारा बकाया दे दे तो हम पांच हजार रुपया तक पेंशन दे देंगे. केवल डेढ़ लाख नौकरी निजी संस्थाओं में हमने दिया. जेपीएससी के नियमों को ठीक किया. हजारों सरकारी नौकरी दी.
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राजभवन के बारे में : मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार जातिगत गणना कराएगी. रही बात ओबीसी आरक्षण, मॉल लिंचिंग बिल या अन्य बिल या विधयेक की तो राजभवन उस पर कुंडली मारके बैठ जाता है. यह केवल झारखंड में नहीं, बल्कि पूरे देश में जहां-जहां गैर भाजपा सरकार है, सभी जगह हो रहा है. अब तो राज्य सुप्रीम कोर्ट तक जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट राजभवन को दिशा-निर्देश जारी कर रहा है. इससे समझा जा सकता है क्या हालात है.
आंदोलनकारियों की समस्या : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड गठन के बाद ही झारखंड आंदोलनकारियों की समस्याओं का समाधान हो जाना चाहिए था. मगर नहीं हुआ. अगर हम झारखंड आंदोलन से जुड़े लोगों की भी समस्या सुलझा नहीं सकें तो बेकार है. मैं खुद इस मामले को देख रहा हूं, जल्द ही झारखंड आंदोलनकारियों से जुड़ी सभी समस्याओं का वे समाधान करेंगे.
गांव के विकास से ही शहर और राज्य का विकास
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इस राज्य की कुल आबादी 80 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र है. जब तक गांव और ग्रामीण मजबूत नहीं होंगे, तब तक न तो शहर का विकास होगा और न ही राज्य का. इसलिए हमारी सरकार गांव, ग्रामीण, मजदूर, गरीबों के लिए कई योजनाएं लेकर आई है. जिसका सीधा फायदा अब लोगों तक पहुंचाने में लगे हैं. खेत तक पानी पहुंचाने की दिशा में कोई काम नहीं हुआ. कई ऐसी बड़ी एवं छोटी सिंचाई योजनाएं जो हमारी उम्र से भी अधिक हो चुकी है, मगर वह पूरा नहीं हुई. इसलिए हम अब सिस्टम ही बदल रहे हैं. कैसे जल्द किसानों के खेतों तक पानी पहुंचे, इस दिशा में काम शुरू हो चुका है. दुमका के मसलिया और पलामू में ऐसी ही योजनाओं पर हमने काम शुरू किया. पूर्ववर्ती सरकार जो डबल इंजन की भी सरकार रही. मगर उद्घाटन के कुछ दिन बाद यहां तक की उद्घाटन के दिन ही ढह गए. हम ऐसा कोई काम नहीं करने जा रहे हैं. रांची जाम शहर के रूप में जाना जाने लगा. मगर रांची के लिए कोई काम पूर्व की सरकारों ने नहीं किया. अब रांची में फ्लाईओवर बनना शुरू हुआ है, ताकि लोगों को जाम से मुक्ति मिल सके.