प्रधानमंत्री आवास योजना प्रारंभ करते समय सरकार की मंशा थी कि प्रत्येक गांव में गरीबों को पक्का मकान मिले। मगर योजनाओं के परिपालन में लापरवाही हो रही है या अन्य गड़बड़ी कि कई गांवों में अभी तक लाभ ही नहीं मिल रहा है।
पूर्ववर्ती रघुवर दास की सरकार ने अपने समय में गलत सर्वे करवाया था जिसका परिणाम लाभुकों को अब उठाएं उठाना पड़ रहा है।
झारखंड के 10 लाख गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अभी आवास नहीं मिलेगा। राज्य सरकार के बार-बार आग्रह के बाद भी केंद्र सरकार अतिरिक्त आवास देने से फिलहाल इंकार कर दिया है। अब केंद्र सरकार के अगले फैसले पर निर्भर करेगा कि झारखंड के वंचित गरीबों को कब तक आवास मिलेगा। यह स्थिति केंद्र और राज्य सरकार के कई फैसले और विसंगतियों के कारण बनी है। प्रधानमंत्री का मिशन था 2022 तक सभी को आवास देना। इसके मद्देनजर पिछले वित्तीय वर्ष में ऐप खोलें ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे कराया गया था। इसम कुल 10.50 लाख ऐसे गरीब का सर्वे कराया गया था। इसमें कुल 10.50 लाख ऐसे गरीब परिवार चिह्नित किए गए, जो पीएम आवास की अर्हता रखते हैं।
लेकिन केंद्र सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष में झारखंड को करीब चार लाख पीएम आवास ही दिए। इस वित्तीय वर्ष में एक भी आवास नहीं मिला। इस तरह 6.5 लाख और पूर्व के बकाये 3.5 लाख, कुल 10 लाख आवास से झारखंड वंचित हो गया।
केंद्र-राज्य के कई फैसले व विसंगतियों से बनी ऐसी
• 10.50 लाख गरीब परिवार पिछले वर्ष सर्वे कर चिह्नित किए गए, जो झारखंड में पीएम आवास की अर्हता रखते हैं।
• 4.0 लाख पीएम आवास ही केंद्र सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष में झारखंड को दिए।
• 6.5 लाख परिवारों को इस तरह पीएम आवास नहीं मिला।
• 3.5 लाख आवास बकाया ।
2024 तक बढ़ाई गई है पीएम आवास योजना प्रधानमंत्री का मिशन था साल 2022 तक सबको आवास देना। हालांकि इस मिशन को अब 2024 तक बढ़ा दिया गया है। उम्मीद है कि चुनावी वर्ष में फिर झारखंड को अतिरिक्त आवास आवंटित किया जाए।
सूची में गलत लोगों की एंट्री व जियो टैगिंग नहीं होने से केंद्र ने नहीं दिए 3.5 लाख पीएम आवास।
पीएम आवास उसे ही मिल सकता है, जिसके पास दोपहिया वाहन नहीं हो। घर में फ्रिज या टेलीफोन नहीं हो। इस तरह आवास प्राप्त करने के लिए 14 अर्हताएं निर्धारित हैं। लेकिन पीएम आवास के लिए तैयार की गई सूची में जिला स्तर पर गलत एंट्री कर दी गई। मसलन सूची में ऐसे लाभुकों के भी नाम दर्ज कर दिए गए, जिनके पास मोटरसाइकिल, तय सीमा से अधिक जमीन, फोन व अन्य संपत्तियां हैं।
इस कारण केंद्र ने सॉफ्टवेयर का उपयोग कर गलत एंट्री वाले दो लाख लोगों के नाम ही हटा दिए। हालांकि राज्य सरकार बार-बार कहती रही कि गलत एंट्री को वह सुधारने के लिए तैयार है। नीति आयोग की बैठक व केंद्रीय ग्रामीण विका ऐप खोलें ठकों में राज्य सरकार इस मामले को जोरदार ढंग से उठाती भी रही.।
सरकार इस मामले को जोरदार ढंग से उठाती भी रही, पर केंद्र ने स्वीकृति नहीं दी। इसी तरह, गलत जियो टैगिंग या जियो टैगिंग समय पर नहीं होने की वजह से अतिरिक्त करीब 1.50 लाख लाभुकों को भी आवास देने की केंद्र ने स्वीकृति नहीं दी ।
केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव एनएन सिन्हा ने पूछे जाने पर बताया कि सर्वे के बाद झारखंड के आवास प्लस का जो लक्ष्य था, उसे पिछले ही साल दे दिया गया। अब और आवास देने की कोई गुंजाइश नहीं है। देश भर में इस साल 2.95 करोड़ आवास स्वीकृत हुए। इनमें 2.15 करोड़ परमानेंट वेटिंग लिस्ट को दिए गए हैं। शेष 80 लाख अन्य राज्यों को दिए गए।