अंजुमन इस्लामिया में अंग्रेजी का कब्जा : गुलाम शाहिद

रांची न्यूज़
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अंजुमन-इस्लामिया में अंग्रेजी भाषा का कब्जा
===गुलाम शाहिद ======
अंजुमन इस्लामिया रांची हज़रत मौलाना अबुल कलाम आज़ाद द्वारा स्थापित एक संस्था है जो न केवल एक अग्रिम पंक्ति के स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि उर्दू के एक अद्वितीय अधिवक्ता भी थे। मौलाना ने जीवन भर उर्दू लिखा, पढ़ा और बोला। वह अंग्रेजी भी जानते थे लेकिन शिक्षा मंत्री के रूप में वह सभी फाइलों पर उर्दू में आदेश और नोटिस लिखते थे l और उर्दू में हस्ताक्षर भी करते थे
लेकिन अब मौलाना आजाद द्वारा स्थापित संस्था को हिन्दी और अंग्रेजी ने आक्रामक रूप से अपने कब्जे में ले लिया है l जिसका ताजा उदाहरण है,चुनाव कमिटि द्वारा जारी अंग्रेजी भाषा का वोटर लिस्ट l अंजुमन-इस्लामिया रांची की सभी प्रेस विज्ञप्तियां केवल हिंदी में जारी की जाती हैं। यह उचित है कि यह हिंदी समाचार पत्रों के लिए हिंदी में लिखा जाता है,और उसी का कॉपी उर्दू प्रेस को जारी किया जाता है, यह आसान है। रांची से बारह उर्दू समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं क्या अंजुमन के नेताओं का यह कर्तव्य नहीं है कि वे हिन्दी के साथ साथ उर्दू में भी प्रेस विज्ञप्ति जारी करें l हिन्दी से अनुवाद का बोझ सिर्फ उर्दू प्रेस पर ही क्यों? अंजुमन उर्दू को नज़रअंदाज़ करके उर्दू के समर्थन का दावा कैसे कर सकती हैं?
अंजुमन-इस्लामिया का चुनाव होने वाला है. इसके लिए वोटर लिस्ट जारी कर दी गई है।जो पूरी तरह से अँग्रेजी भाषा में है, क्या अंजुमन-इस्लामिया रांची की कामकाजी भाषा अंग्रेजी है?यदि हां, तो यह घोषणा की जानी चाहिए कि मौलाना आजाद ने अंग्रेजों को देश से निकाल दिया लेकिन अंग्रेजी को अपनी संस्था से नहीं निकाल सके। किसी ने सही कहा है कि घर को आग लग गई घर के चिराग से l

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