शिक्षा, सम्मान, स्वरोजगार, स्वास्थ्य और सामाजिक सद्भाव के क्षेत्र में #माही (#मौलाना_आज़ाद_ह्यूमेन_इनिशियेटिव) काम करेगी। हमारा समाज तालीमी दृष्टिकोण से कमजोर पड़ रहा है,जिसका असर जिंदगी के हर क्षेत्र में दिखाई दे रहा है। शिक्षा और स्वरोजगार से ही समाज की तस्वीर बदली जा सकती है। इस दिशा में सैंकड़ों कदम साथ चलने को तैयार हैं। माही के गठन का उद्देश्य यह भी है कि समाज में फैल रही धार्मिक विभिन्नताएँ, वैमनस्य, घृणा, हिंसा के खिलाफ अभियान में आम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित किया जाए। एक सभ्य समाज के निर्माण में सकारात्मक पहल करना हमारे लक्ष्यों में शामिल है। जिस तरह एक धर्म विशेष के प्रति संगठित अभियान चलाए जा रहे हैं ,संदेह का वातावरण बनाया जा रहा है। एक समुदाय को अलग थलग करने की कोशिश की जा रही है। इस भ्रम को दूर करना हमारा सामाजिक दायित्व भी है । विशेष कर तथाकथित लव जिहाद के द्वारा दो कौमों के बीच बढ़ रही दूरियों को कम करना, जागरूकता फैलाना हमारा मकसद होगा।
पूरी दुनिया में महिला उत्पीड़न,यौन शोषण, हिंसा, हत्याएं बढ़ रही हैं। केवल 2020 में विश्वव्यापी 47000 , महिलाओं या लड़कियों की हत्या कर दी गई।ये हत्या उन लोगों ने की जिनके साथ संबंधों में बंधी हुई थीं। आंकड़े बेहद डरावने हैं।हर 11 मिनट में महिला या लड़की की हत्या उसके परिजन या उसके पार्टनर कर देते हैं।ये आंकड़े रिसर्च एंड ट्रेंड एनालिसिस ब्रांच युनाइटेड नेशन्स आफिस आन ड्रग्स एंड क्राईम ने जारी किए हैं। भारत में भी महिलाओं के साथ बेहतर बर्ताव नहीं किया जा रहा है।43.3% महिलाएं अपने पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रुरता की शिकार हो रही हैं। एनसीआरबी के अनुसार महिलाओं के खिलाफ हिंसा में 2021 में 64.5% की वृद्धि हुई है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा की 2021 में देश भर में 4,28,278 मामले दर्ज किए गए हैं। निकिता हत्या काण्ड में काफी बावेला मचा। हत्या जघन्य अपराध है और दोषियों को दण्डित किया जाना चाहिए। लेकिन इसे मजहब को बुनियाद बनाकर उन्माद पैदा किया जाना नैतिक अपराध है।लव जिहाद को स्थापित करने के लिए एक कौम के खिलाफ इसे भावनात्मक रूप देना भी अपराध है।
गत 15 दिनों में देश के विभिन्न राज्यों में महिलाओं पर गंभीर हमले हुए। उनकी हत्याएं की गईं, लेकिन न इस पर मीडिया और न ही संगठनों में चर्चा हुई। दुमका कांड को जिस तरह प्रचारित किया गया ,इस अमानवीय कृत्य को जो रंग दिया गया, इससे इस जघन्य कांड की गंभीरता विभाजित हो गई। इसे मानवीय आधार मामले को उठाना था, दोषियों को सजा दिलाने के लिए सामूहिक प्रयास किया जाना चाहिए था ,लेकिन इसके बजाय हत्यारे के धर्म का खूब प्रचार किया गया। यह गलत है। दो दिन पूर्व ही दुमका में ही एक नाबालिग आदिवासी बच्ची की निर्मम हत्या कर दी गई। उक्त बच्ची का गैंग रेप भी हुआ। विश्वविद्यालय आउट पोस्ट एरिया के श्रीअमरा गांव में लड़की की हत्या कर पेड़ से लटका दिया गया। स्वजातीय होने पर क्या अपराध की गंभीरता समाप्त हो जाती है ?इसका स्वरूप बदल जाता है? खामोशी भी एक अपराध ? इसी सप्ताह मुम्बई के अंधेरी में 15 वर्षीय लड़की की हत्या कर झाड़ड़यों में फेंक दिया गया। इस लड़की को इसके ही दो स्वजातीय सहयात्री लड़कों ने इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया। लेकिन कोई चर्चा नहीं हुई।
मध्यप्रदेश के जबलपुर से मुम्बई राखी का त्योहार मनाने गई लड़की को उसके दो चचेरे भाईयों न केवल सामूहिक बालात्कार किए, बल्कि उसकी निर्मम हत्या कर दी। यह मामला 16 अगस्त का है। दोनों गिरफ्तार हो गए। चंडीगढ़ के पटियाला में एक लड़की की जलाकर हत्या कर दी गई । उसके परिवार को संदेह है कि बालात्कार के बाद उसकी हत्या हुई। दीपू और जशपाल पकड़े गए। इसी तरह मेवात में एक 15 वर्षीय मुस्लिम लड़की को उसके रिश्तेदारों ने ही बालात्कार के बाद मार दिया। जिसमें सरपंच अशरफ की भी भूमिका है। यह हरियाणा के मेवात की घटना है। कश्मीर के कठुआ जिला में अपहरण के बाद 8 साल की बच्ची की हत्या कर दी गई। इस जुर्म में 15 साल के लड़के की गिरफ्तारी हुई। देश में ऐसे जघन्य अपराध प्रतिदिन हो रहे हैं। इसके लिए अपराध में धर्म तलाश करना कुंठित मानसिकता और ओछी राजनीति का परिचायक है। ऐसे जघन्य अपराध के खिलाफ जाति-धर्म को दरकिनार कर गोलबंद होने की जरूरत है, न कि जघन्य अपराधों में धर्म विशेष का चरित्र तलाश कर समाज में जहर घोलने का अभियान चलाया जाए। हम ऐसे तमाम अभियान के खिलाफ विरोध दर्ज करेंगे, जो समस्त समाज को तोड़ने में लगे हैं।
#माही (मौलाना आज़ाद ह्यूमेन इनिशियेटिव) पूरे राज्य में न केवल जघन्य अपराधों के खिलाफ ऐसे अपराधों में धार्मिक कोण तलाशने वालों के खिलाफ जागरूकता अभियान चलायेगी। जो धार्मिक विद्वेष पैदा करते हों, समाज में वैमनस्यता फैलाते हों, साझा संस्कृति पर चोट करते हों, सदियों के अटूट रिश्तों की गांठें खोलना चाहते हों,जो खाने की थालियों को अलग करने की मंशा रखते हों,ऐसी मानसिकता के खिलाफ #माही इस अभियान को मिशन का रूप देगी। हम फिर कहना चाहते हैं कि निकिता मामले को जिस तरह उठाया गया,एक खास समुदाय को जिस तरह कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की गई, निशाने पर लिया गया उससे हम आहत हुए हैं। ऐसे मामलों पर पूरे समाज को एक साथ खड़े होने की जरूरत है।